Friday, 28 March 2014

हमने समझा था ہم نے سمجھا تھا





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हमने समझा था कि बस इक कर्बला है ज़िन्दगी
कर्बलाओं का मुसलसल सिलसिला है ज़िन्दगी

एक तेरे ग़म ने सब ज़ख्मों पे मरहम कर दिया
सब ये कहते थे कि दर्दे-ला-दवा है ज़िन्दगी

मुश्किलों से हार जाना इस को आता ही नहीं
शब् की तारीकी से लड़ता इक दिया है ज़िन्दगी

जीने वालों के लिए है आखिरी उम्मीद मौत
मरने वालों के किये इक आसरा है ज़िन्दगी

किस क़दर मकरूह चेहरा है, नज़र आ जाएगा
हर किसी के रू-ब-रू इक आईना है ज़िन्दगी

हर ख़ुशी के बाद ग़म और फिर ख़ुशी की आहटें
आते जाते मौसमों का सिलसिला है ज़िन्दगी

दर्द के तपते हुए सेहराओं से होता हुआ
मौत तक जाता हुआ इक रास्ता है ज़िन्दगी

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