Thursday, 6 March 2014

अँधेरी रात में तारे اندھیری رات میں تارے







٭٭٭٭٭

अँधेरी रात में तारे चमक जायें तो अच्छा हो
बहारों में गुलाब अब के महक जायें तो अच्छा हो

बलंदी की हवस में आशियाँ जो भूल बैठे हैं
परिंदे अब वो उड़ते उड़ते थक जायें तो अच्छा हो

मेरी खुशियों से तेरी ज़िन्दगी गुलज़ार हो जाये
तेरे ग़म से मेरी आँखें छलक जायें तो अच्छा हो.

٭٭٭٭٭

No comments:

Post a Comment