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बहुत कठिन था, मगर सर ये मरहला तो हुआ.
तेरे बग़ैर भी जीने का हौसला तो हुआ.
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ये और बात कि नेज़ों पे सर हमारे थे,
थमा हुआ था जो कल तक वो कर्बला तो हुआ.
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इक ऐसा दौर, जहाँ
प्यार है गुनाहे-अज़ीम,
ये इक गुनाह भी हमसे अगर हुआ तो हुआ.
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सरों कि फ़स्ल सभी मौसमों में काटी गई,
हमारे खूं से ही गुलशन हरा भरा तो हुआ.
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सियाह रात किसी तरह से कटी तो सही
सहर का रंग ज़रा सा ही, रोनुमा तो हुआ
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फ़रीद क़मर
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