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दिल शादाब चमन था, सहरा होता जाता है
तेरी याद का ज़ख्म तो गहरा होता जाता है
कोई सच कहता है और न कोई सुनता है
सारा शह्र तो गूँगा बहरा होता जाता है
वो जो प्यार के रिश्ते थे, दम तोड़ते जाते हैं
हर दिल पर नफ़रत का पहरा होता जाता है
तेरा नाम हवा में यूँ ही लिखता जाता हूँ
और फ़ज़ा का रंग सुनहरा होता जाता है
अब हर ख़ुश्बू तेरी याद की ख़ुश्बू जैसी है
अब हर चेहरा तेरा चेहरा होता जाता है
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